आज हम आपको जीरो एफ आई आर के बारे में बताने वाले हैं सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि अपराध दो तरह के होते हैं पहला संज्ञेय अपराध दूसरा असंज्ञेय अपराध।
संज्ञेय अपराध में हत्या बलात्कार जैसे गंभीर अपराध आते हैं। जबकि असंज्ञेय अपराध में मामूली मारपीट जैसे घटनाएं आते हैं। असंज्ञेय के अपराध में एफ आई आर दर्ज नहीं की जाती बल्कि इसकी शिकायत के लिए मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया जाता है मजिस्ट्रेट द्वारा आरोपी को समन जारी किया जाता है जबकि संज्ञेय अपराध में एफ आई आर दर्ज करना आवश्यक होता है यह व्यवस्था सीआरपीसी की धारा 154 के तहत दी गई है।
जीरो f.i.r. से तात्पर्य है कि यदि किसी व्यक्ति के साथ उसके विरुद्ध कोई संज्ञेय अपराध होता है या गंभीर अपराध होता है तो वह घटनास्थल से बाहर के पुलिस थाने में भी एफ आई आर दर्ज करवा सकता है लेकिन इसमें गौर करने वाली बात यह है कि इसमें अपराध संख्या दर्ज नहीं दी जाती। हमारे देश की न्याय व्यवस्था के अनुसार अगर आपके साथ कोई गंभीर अपराध हुआ है तो आप उस दशा में f.i.r. किसी भी जिले या किसी क्षेत्र के थाने में दर्ज करवा सकते है चूंकि यह मुकदमा घटना वाले स्थान पर दर्ज नहीं होता इसलिए तत्काल इसका अपराध नंबर नहीं दिया जाता। लेकिन बाद में संबंधित थाने पर यह केस स्थानांतरित किया जाता है तब अपराध संख्या दर्ज कर ली जाती है।।
