"चुनाव"

चुनाव तीर म आवत हे
नेता मन जुरीयावत हे।

मीठ मीठ गोठियावत हे,
अउ जनता ल भरमावत हे।

ऐ करबो ओ करबो कहीके किरीया खावत हे,
फेर चुनाव आवत हे।

पांच साल ले शहर मे रीहीस,
गांव गली ल नई देखीस।

राजधानी म रहीके भारी मजा उड़ाईस,
कतकोन जनता उकर बंगला के चक्कर लगाइस।

तभो ओहा काकरो सन नइ गोठियाइस,
अईसने करके पांच साल ल पहाइस।

जनता के दुख पीरा ल नई पतियाइस,
जनता मने मन भारी पछताइस।


अब चुनाव के बेरा गली मोहल्ला म जावत हे,
संगवारी हो अब तो हमर पारी आवत हे।

अब के चुनाव म अईसन नेता ल झन चुनव,
जेकर अपराध अउ भ्रष्टाचार ल सुनव।

ईमानदार नेता ल देवव वोट,
झन लेवव काकरो ले नोट।

बईमान नेता ल भगाव,
राम राज ल लाव।

आज कहुं लालच म आहूं,
फेर पांच साल पछताहूं।

गली गली जिन्दाबाद जिन्दाबाद चिल्लावत हे,
फेर चुनाव आवत हे।

   
          रचनाकार
   लीलाराम साहू "लीला"
     देवगांव फिन्गेश्वर
        90981-71635

Ads

Blogger द्वारा संचालित.