में आघु आघु फेंकत हो
ते पाछु पाछु झोंक
हम तो करबो अपन मन के
ते रोक सकथस ते रोक
आश्वासन के चटनी
अउ दिलासा के भोग
बोनस के झुनझुना
अउ तंगइ के नोट
माल बांटे मालगुजार
जनता देखे बोक बोक
में आघु आघु....
दुध बेचैया छत्तीसगढ़िया
माते हे मउहा दारु मा
छल कपट के दौर चलत हे
पसुवा फंसे हे कारु नारु मा
खतरा में परे हे हमर विरासत
संस्कृति के होगे लोप
सिधवा बन के अब्बड़ किंजरे
तोर चेंदवा मुडी़ ला तोप
में आघु आघु.....
आगे रतिहा कुलुप अंधियारी
संसो में परे हे बेटी कारी
नइ हे सुरक्षित घर अऊ द्वार
अमर बेल कस अत्याचारी
जीवन के सृजन करैया महतारी
किराया में बेचत हे अपन कोख
में आघु आघु....
दु रुपिया किलो चाउर
अउ फोकट के नमक
महीना सिराय नइ हे
सब होगे खपत
खाय बर चउर नइहे
अउ शक्कर के रेट भारी
तभो ले घरो घर सुगर के बिमारी
भगवान जाने दुनीया मे
काय राज आय हे
बडे़ बडे़ साधु महात्मा मन
जेल मे धंधाय हे
धर्म के आडंबर अउ षड्यंत्र के
चाकू ल घोप
मे आघु आघु फेंकत हो
ते पाछु पाछु झोंक
रचनाकार
कवि.कमलेश कौशिक.
कठलहा
ते पाछु पाछु झोंक
हम तो करबो अपन मन के
ते रोक सकथस ते रोक
आश्वासन के चटनी
अउ दिलासा के भोग
बोनस के झुनझुना
अउ तंगइ के नोट
माल बांटे मालगुजार
जनता देखे बोक बोक
में आघु आघु....
दुध बेचैया छत्तीसगढ़िया
माते हे मउहा दारु मा
छल कपट के दौर चलत हे
पसुवा फंसे हे कारु नारु मा
खतरा में परे हे हमर विरासत
संस्कृति के होगे लोप
सिधवा बन के अब्बड़ किंजरे
तोर चेंदवा मुडी़ ला तोप
में आघु आघु.....
आगे रतिहा कुलुप अंधियारी
संसो में परे हे बेटी कारी
नइ हे सुरक्षित घर अऊ द्वार
अमर बेल कस अत्याचारी
जीवन के सृजन करैया महतारी
किराया में बेचत हे अपन कोख
में आघु आघु....
दु रुपिया किलो चाउर
अउ फोकट के नमक
महीना सिराय नइ हे
सब होगे खपत
खाय बर चउर नइहे
अउ शक्कर के रेट भारी
तभो ले घरो घर सुगर के बिमारी
भगवान जाने दुनीया मे
काय राज आय हे
बडे़ बडे़ साधु महात्मा मन
जेल मे धंधाय हे
धर्म के आडंबर अउ षड्यंत्र के
चाकू ल घोप
मे आघु आघु फेंकत हो
ते पाछु पाछु झोंक
रचनाकार
कवि.कमलेश कौशिक.
कठलहा
